रानीबाग स्थित "चित्रेश्वर महादेव का शिवलिंग" जो "महाकाल" के रूप में विराजमान माने जाते हैं
हल्द्वानी 14 जनवरी- कत्यूरी राजवंश की जीवंत परंपरा उत्तरायणी पर्व जो आज भी मनाते हुए देखी जाति है रानीबाग स्थित "चित्रेश्वर महादेव का शिवलिंग" जो "महाकाल" के रूप में विराजमान माने जाते हैं। जिसका जिक्र स्कंद पुराण मैं वर्णित है और इस चित्रेश्वर महादेव की पूजा आदि ऋषि मारकंडे जी के द्वारा की जाती थी बाद में मानसखंड के कत्यूरी राजवंश की परंपरा में माता जिया रानी भी चित्रेश्वर महादेव शिवलिंग की पूजा अर्चना करती थी जिसको अज्ञानता वश लोग रानी का घाघरा भी कह बैठते हैं जो अनुचित है।
यह शिवलिंग पुष्प भद्र तथा गंगारंचल नदियों के संगम पर पर्वतमाला के बीच देवों द्वारा स्थापित माना जाता है वर्षा ऋतु में गार्गी मे अधिक जल प्रवाह होने से चित्रेश्वर महादेव भूमिगत हो जाते हैं जिनके दर्शन करना मुश्किल आज भी होता है। जिस कारण राजवंश द्वारा चित्रेश्वर महादेव का मंदिर ऊपर पहाड़ी में स्थापित किया और रानी द्वारा यहां पर बाग लगाकर इस क्षेत्र को शोभित किया जिससे इसका नाम रानीबाग पड़ा आज भी इस परंपरा का निर्वाह कत्यूरी राजवंश तथा उनके अनुयाई उत्तरायणी पर्व की पूर्व संध्या में यहां पहुंचकर स्नान करते हैं और रात के समय देव पूजा "जागर" लगाई जाती है और प्रातः स्नान कर अपने स्थान को जाते हैं यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यहां पर "महाकाल" स्थापित होने की वजह से इस तीर्थराज को संसार से विदाई का अंतिम पड़ाव भी माना जाता है जहां से "आत्मा शरीर" से मुक्त होकर परलोक गमन करती है बहुत दूर-दूर से लोग यहां शवदाह-संस्कार के लिए आते हैं।
कत्यूरी लोगों का कहना है कि चित्रेश्वर महादेव शिवलिंग से 100 मीo दक्षिण की ओर शवदाह-संस्कार का स्थान होना चाहिए उससे ऊपर प्रतिबंधित क्षेत्र जो "महाकाल" का है केवल पूजा एवं स्नान आदि के लिए अनुमति होनी चाहिए जिस पर तत्काल सरकार को ध्यान केंद्रित कर यह व्यवस्था लागू करनी चाहिए। इस अवसर पर खुशाल जीना, महेंद्र जीना, प्रताप जीना, भोपाल सिंह राठौड़ आदि लोगों ने अपने सुझाव दिए, चोपड़ा क्षेत्र भुजिया घाट नैनीताल।